Wednesday 25 December 2013

You were there....You still are! 

Reminiscences from my diary
December 14, 2013 Saturday
5 p.m. 

In train to Delhi ....will meet Sharan tonight after 2.5 years..and my babus and bhaia, tomorrow!


यूँ तो , वैसे भी -
तेरी सुध कभी बिसरी ही नहीं,
पर आज -
खबर सुनते ही -
तेरे आने की -
लगा,
साज़ों में छिपी सरगम -
बौरा गयी हो
और कर दिया हर दिशा को -
-गुंजायमान !

घुल गयी हवा में -
गुंजन  …
बिखर गए, चहुँ ओर -
सुन्दर रंग !

शीशे पर नज़र पड़ी ,
तो आज का अक्स -
-मुस्कुराता दिखायी दिया !

यूँ तो , वैसे भी -
तेरी सुध कभी बिसरी ही नहीं ,
पर आज -
किवाड़ों को बंद करने की -
कोशिश करती चटकनी -
खुल गयी!
बिखरे बिम्ब -
सजीव - से हो उठे -
और,
एक बार फिर -
सिमटने के लिए -
-तड़पने लगे !
काली रात के सफ़ेद तारे ,
हरी घास के लाल फूल ,
नीले सलिल की पीली मछलियां -
सब -
जश्न मनाते से लगे !

एक बार फिर -
आँखों में-
मानस में -
रूह में -
समय की परिधि में भी -
तू उतर आया -
-और
पहले से ही बसे 'तू' में
समा गया !

यूँ तो , वैसे भी -
तेरी सुध कभी बिसरी ही नहीं -
पर आज  … !!