Take away your pain !!
Reminiscences from my diary
July 28, 2014
9 A.M.
Bangalore
वह जो तुझे याद कर के -
टीस उठती है, मन में -
मुझे अंदर तक चीर जाती है !
कुछ पल के लिए -
शरीर का हर रोम सिहर उठता है …
और फिर -
निढाल हो जाता हूँ मैं !
कभी लगता है -
तुझे पाने की ख्वाहिश में -
कुछ ज्यादा ही मांग लिया -
साईं से !
पर साईं भी क्या करता !
लकीरें ही रुस्वा थीं !
तू तो नहीं मिला -
उम्र भर का दर्द मिल गया …
कचोटता -
झकझोरता -
मेरे अस्तित्व को समेट कर -
निचोड़ता … !
पहले लगता था -
कुछ उम्मीद, कहीं टिमटिमा रही है !
पर , हर पहर के साथ -
उम्मीदों के दीये -
मैं -
कितने ही घाटों पर बेच चुका हूँ !
कितनी ही गंगाओं में बहा चुका हूँ !
जब लौ ही नहीं -
तो दीया रखकर क्या करता !
अब तो बस …
टीस है -
जो-
तुझसे अलग करने की -
कोशिश में, या यूँ कहूँ ,
साज़िश में -
तुझसे और जोड़ जाती है !!