Tuesday 18 September 2018

How I wish you were around, my friend!



Reminiscences from my diary

Sep 18, 2018
Tuesday 11:00 PM
Murugeshpalya, Bangalore


सुन, दोस्त -
सोचा है कभी कि -
- तू भी हो यहीं -
- इसी शहर में ?
जलें एक ही धूप  में
एक ही बारिश में धुलें
गुम हों एक ही भीड़ में और,
नापें एक ही सड़कें
बार बार !
साथ साथ !

शहर ही क्यों?
फ़र्ज़ कर -
हम करते हो काम एक ही दफ़्तर में !
सोचा है कभी ?
तेरी सीट हो दूसरे माले पर !
जब लिफ्ट रुके पहली मंज़िल पर -
- और मैं निकलूं, अपनी डेस्क पर जाने के लिए -
- तू, हमेशा की तरह,
दरवाज़े बंद होने तक,
मुस्कुराता रहे, और -
- दरवाज़े बंद होने तक ही -
- मैं एकटक तुझे देखता रहूं !

फिर अपनी - अपनी सीट पर आते ही -
- व्यस्त हो जाएँ हम !
सुबह से कब दोपहर हो जाये -
- पता ही न चले !
मुझे खाने की होश न रहे !
तू आये मेरे पास-
खाने पर साथ न जाने पर मुझपर गुर्राए -
और पैर पटक कर चला जाए !

फिर बीच में, यूँ ही, फ़ोन पर भेजे तू मुझको -
- कोई गाना
अपनी पसंद का या -
मेरी पसंद का या -
हम दोनों की पसंद का, जो -
काम के चलते हो जाए हमेशा की तरह -
- नज़रअंदाज़ !

मैं व्यस्त से और व्यस्त हो जाऊँ,
एक और पहर ऐसे ही ढल जाए, और फिर -
- कॉफ़ी पीने की तलब के साथ
- मुझे तेरी याद आए !
मैं ऊपर आऊँ तेरे पास !
तुझे काम में उलझा पाकर -
- कुछ देर करूँ इंतज़ार !
फिर चुपचाप चला जाऊँ और -
- दो प्याली गरम लेकर आऊँ !

तू मुस्कराये -
अपना पेन कान के ऊपर लगाकर मेरे पास आये -
मेरी कॉफ़ी को फूँक मारकर ठंडी करे, और -
- अपनी चाय पी जाए !
चुस्कियों के बीच पूछे तू -
- कैसा लगा गाना?
मैं बोलूँ  - बहुत अच्छा !
तू बनाए मुँह
पकड़ा जाए मेरा झूठ
हमेशा की तरह !
फिर तय करें हम -
- ऑफिस से निकलने का समय !
तू कहे सात, मैं कहूं -
- साढ़े छः
और बात पौने सात पर टिक जाए !

मैं पीकर कॉफ़ी अपनी -
- आ जाऊँ एक बार फिर
अपनी जगह !
एक बार फिर हो जाऊँ मशगूल -
- अपने कंप्यूटर पर !
और जब कुछ देर बाद नज़र दौड़ाऊँ -
- तो गोधूलि को खिड़की के बाहर
बिखरा पाऊँ !

तेरा फ़ोन लगाऊँ फिर, और कहूँ -
- तुझे इंतज़ार न करने के लिए, पर
तुझे खुद से भी ज़्यादा व्यस्त पाऊँ !

एक बार फिर तय करें हम -
- एक साथ ऑफिस से निकलने का समय
एक बार फिर तय करें हम -
- एक - दूसरे केआस-पास जीने का समय !

बोल, दोस्त-
सोचा है कभी कि ऐसा हो  ..
.. कि एक बार फिर एक अजनबी शहर में -
- उम्र भर वाले दोस्त बन जाएँ हम ?