Tuesday, 12 August 2014

Take away your pain !!



Reminiscences from my diary
July 28, 2014
9 A.M.
Bangalore


वह जो तुझे  याद कर के -
टीस उठती है, मन में -
मुझे अंदर तक चीर जाती है !
कुछ पल के लिए -

शरीर का हर रोम सिहर उठता है  …
और फिर -
निढाल हो जाता हूँ मैं !

कभी लगता है -
तुझे पाने की ख्वाहिश में -
कुछ ज्यादा ही  मांग लिया -
साईं से !
पर साईं  भी क्या करता !
लकीरें ही रुस्वा थीं !
 तू तो नहीं मिला -
उम्र भर का दर्द मिल गया  …
कचोटता -
झकझोरता -
मेरे अस्तित्व को समेट कर -
निचोड़ता  … !

पहले लगता था -
कुछ  उम्मीद, कहीं टिमटिमा रही है !
पर , हर पहर के साथ -
उम्मीदों  के दीये -
मैं -
कितने ही घाटों पर बेच चुका हूँ !
कितनी ही गंगाओं में बहा चुका हूँ !

जब लौ ही नहीं -
तो दीया रखकर क्या करता !
अब तो बस  …
टीस है -
जो-
तुझसे अलग करने की -
कोशिश में, या यूँ कहूँ ,
साज़िश में -
तुझसे और जोड़ जाती है !!



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