Nainital
Reminiscences from my diary
March 17, 2019
11:30 pm
Blessings Home-stay, Nainital
कुछ किताबें हिंदी की
अंग्रेज़ी की भी, कुछ से ज़्यादा , शायद
और सामने की दीवार पर मकड़जाल ताकता
मोठे चश्मे वाला कुबड़ा मालिक !
***
पार्किंग के पास बड़ी, पुरानी मस्जिद
मस्जिद से थोड़ी आगे गुरुद्वारा
फिर कुछ और कदम आगे नैनी का प्राचीन मंदिर
और दूर से इन तीनों की कतार ताकता एक बूढ़ा भिखारी !
***
माल रोड के भव्य, पाँच सितारा - से रेस्टॉरेंट
बड़े - बड़े तवों पर सकते पनीर के पूड़े, आलू की टिक्कियाँ
गर्मागरम चाय और कॉफ़ी की मशीनें, और दूर -
पत्थर पर बैठा, मूँगफलियाँ बेचता एक भूखा मुल्लाह !
***
साँझ के फाहों से छनकर आती लाल रोशनी
पानी में तिरते दिखते चीड़
रंगीन फूलों की छोटी - बड़ी क्यारियाँ
उनसे रंगों की ही होड़ करता कूड़े का एक ढेर !
***
एक और सफ़र तुम्हारे साथ
एक और सफर तुम्हारे बिना
और हर सफर की तरह ही
अजनबी चेहरों में मिलते - खोते, खोते - मिलते तुम !
***
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