Monday, 8 April 2019

The Labyrinth


Reminiscences from my diary

Apr 08, 2019
11:50 pm
Murugeshpalya, Bangalore


मैं अक्सर दूर रहता हूँ
बहुत अजनबियों से ही नहीं
बहुत अपनों से भी !
अपेक्षाएँ दोनों को हैं या हो सकती हैं !
अपेक्षाएँ दोनों से हैं या हो सकती हैं !
एक उम्मीद से कई निराशाएँ उपज जाती हैं अक्सर !
और फिर, उम्मीदों के ताने - बाने को -
- तार - तार करते हैं -
हताशाओं के कुलाबे !

सुनो !
घने बीहड़ों में पलते घने मकड़जालों में -
कभी - कभी
साँस भी रुक जाया करती है !


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