Siesta Yours, Colors Mine!
Reminiscences from my diary
Oct 10, 2019
Thursday 08:40 PM
Murugeshpalya, Bangalore
सुनो - मेरे पास ऊन के गोले हैं
ढेर सारे
और रंग भी अलग - अलग
जो चाहो, वही मिल जायेगा
आसमानी
गेहुँआ
सिन्दूरी
कत्थई
आओ - तुम्हारी नींदें बुनूँ
बताओ - कौन - सा रंग चुनूँ
चाहो तो सारी नींदें एक ही रंग की
चाहो तो रंग - बिरंगी
जामुनी
सुर्ख
पीली
सलेटी
अगर चाहो किसी सपने को अलग से टांकना
तो रंग बता दो अभी
आसानी होगी
सिलाई भरने में
धूसर
गुलाबी
जैतूनी
टकसाल
जान लो -
इस ऊन का रेशा - रेशा
मेरे रोम - रोम का उन्स है
अलाव - सी गर्माहट मिलेगी तुम्हें
कैसा भी हिमपात हो
मौसमी
बारहमासी
कैसा भी
तुम्हारा कोई भी ख़्वाब कभी
ठिठुरेगा नहीं
अब बताओ भी
ज़्यादा मत सोचो
ऐसा न हो कि सोचते - सोचते
एक बार फिर भोर हो जाये !
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