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Reminiscences from my diary
May 2, 2020
Saturday, 09:45 pm
Murugeshpalya, Bangalore
सहर
शब
रतजगे
सराब
नाम
मुश्क़
उल्फ़त
रक़ीबी
हिज्र
तबस्सुम
लम्हा
छुअन
प्यास
हर्फ़
इल्तज़ा
तड़प
कशिश
आज़ार
शिकायत
जवाब
सवाल
नज़र
वादा
अना
रूह
नफ़स
सुनो! सब तुम्हारे -
सब तुमसे -
और तुम कहो तो -
सबकी गठरी बना
साँस-साँस ढो लूँ,
निजात दे दूँ सबसे तुम्हें, पर -
शर्त है एक !
तुम्हारे पास अटका हुआ मेरा 'मैं'
मुझे लौटाना होगा !
मंज़ूर हो 'गर -
तो सौदा आगे बढ़ाएँ ...
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