Sunday, 29 May 2022

Algae


Reminiscences from my diary

May 29, 2022
Sunday, 20:00 hrs
Murugeshpalya, Bangalore


सोचो ज़रा 

कहीं किसी बियाबान 
कल्पों पुराना मंदिर 
उसके खंडहरों के अंदर 
मकड़जाल सना गर्भगृह
वहाँ 
शिव की खंडित प्रतिमा ताकता 
जंगली फूलों की गमक लिए 
हरेपन से सहमा 
बेबस 
कैद 
मायूस 
एक तालाब!

तालाब के ऊपर 
अंदर 
हर कोने - किनारे पर 
मुंडेर - मुंडेर
सतह - सतह  
सूखी - गीली 
गीली - सूखी 
काई 
जमी काई 
तैरती काई 
काई के ऊपर काई 
परतों परत काई 
सिर्फ़ काई!

अब सुनो ज़रा 

समय स्मृतियों को नहीं निगलता!
स्मृतियाँ समय को निगल जाती हैं!


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