Nobody stays here
Reminiscences from my diary
May 01, 2022
Murugeshpalya, Bangalore
0800 PM
तुमने कहा कि तुम यहीं हो
पर मुझे लगता है कि
तुम्हें
महज़ ऐसा लगता है कि
तुम यहीं हो
पर
दरअसल
तुम यहाँ नहीं हो
यहाँ कोई नहीं है
कोई
भी
नहीं
मैं भी हूँ या नहीं
पता नहीं
बस
कुछ बेतरतीबियाँ हैं
कुछ बेचैनियाँ हैं
कुछ आवारगियाँ हैं
कुछ खुशबुएँ हैं
जो
धरती - धरती
गगन - गगन
काया - काया
भटक रहीं हैं
न जल पाती हैं
न गल पाती हैं
न बह पाती हैं
न सह पाती हैं
बस हैं
रहेंगी
न जाने किस रास्ते
यहाँ
आ पहुंची हैं
और अब
बस
यहीं
हैं
सुनो
कभी अगर
तुम्हें
तुम्हारी बेचैनियाँ
बहुत परेशान करें
और
तुम्हें
निजात पानी हो उनसे
तो उन्हें
यहाँ का पता
दे देना
इस चौखट पर
तुम्हारी भटकन को भी
हमेशा के लिए
पनाह मिल जाएगी
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