Sunday, 5 March 2023


The Moon & You Rantings

Reminiscences from my diary

March 05, 2023
Sunday 1130 pm
Murugeshpalya, Bangalore


तुम -
चाँद को देखते हो 
चाँद -
मुझे देखता है 

मैं -
तुम्हें -
क्यों नहीं देख पाता ?


***


रास्ते भर 
बारीक लकीर चाँद की
मुझे 
एकटक तकती रही 

सुनो -
तुम चाँद तो नहीं !
तुम चाँद क्यों नहीं ?


***


तुमने 
दिन का -
चाँद 
देखा है कभी?

कभी - कभी रात का -
चाँद
कम खूबसूरत होता है !


***


सुनो, तुम-
मुट्ठी क्यों नहीं 
खोल देते ?

मेरे आसमान का चाँद 
तुम्हारी रात की -
बेतरतीबी में 
उलझा पड़ा है !


***


मेरी ओक में 
चाँद उड़ेलकर 
तुम 
बहुत दूर निकल गए 

मैं 
उस चाँद का 
ग्रहण हूँ !


***



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