The celebration of your absence
Reminiscences from my diary
Friday, Mar 01, 2024
2300 IST
Murugeshpalya, Bangalore
सुनो
एक बार की बात है!
चाँद के
न दिखने वाले सिरे पर
एक कील गाड़ी थी मैंने
और वहाँ से
एक डोर
खींच दी थी
सीधा अपनी आँख की
कोर तक!
तब से अब तक
हर रात
निकलता है
जुगनुओं का एक कारवाँ
आँख और चाँद के बीच
पड़ गई गिरहों से
फिर
बेहद इत्मिनान से
तुम्हारे आने की
बाट जोहता है
फिर
थोड़ी देर बाद
उतने ही इत्मिनान से
तुम्हारे
न होने का
जश्न मनाता है !
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