The home for the lost
Reminiscences from my diary
Apr 20, 2024
Saturday 0045
Murugeshpalya, Bangalore
सब कुछ बीत जाने के बाद के
खालीपन में
रहती हैं
एक रंग की तितलियाँ
.
घर ढूँढती चीटियाँ
.
मुट्ठी भर सूखे कनेर
.
एक टूटा तारा
.
पतझड़ की आस
.
रतजगे
.
ढेर सारा पानी
और
बंजर नज़्में
.
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