...that road to Thimphu
Reminiscences from my diary
March 30, 2018 Friday
10:00 AM
Damchoe's Home-stay
Thimphu, Bhutan
दो उँगलियों के बीच से -
बादल को फिसलते देखा ...
और फिर कुछ देर बाद -
कोहरे को टकराते देखा ...
और उसके कुछ देर बाद -
उन्हीं दो उँगलियों के बीच से -
बादल और धुंध - दोनों को ही - भागते देखा !
अजीब लगा पहले ...
बादल तो ऊपर होते हैं -
आसमान में !
तो फिर मेरी उँगलियों ने -
- इन्हें कैसे छुआ ?
सोच ही रहा था, तभी -
- सलिल बरस पड़ा ... ज़ोर से !
रह नहीं पाता यह भी -
- मेरे बिना !
जहाँ पहुँचता हूँ -
- पीछे - पीछे आ जाता है !
कुछ देर मूसलाधार बरसात होती रही ...
इतनी-
- कि लगा, मानो -
आज नीर में ही -
वायु, अग्नि, पृथ्वी और नभ -
सब समा जाएँगे !
हाथ गाड़ी के शीशे से बाहर था !
वे दो उँगलियाँ ही नहीं, पूरा हाथ ही -
जम गया था -
ठण्ड से -
हवा से -
पानी से -
और फिर ओलों से !
भूटान केओले - हेलस्टोन्स !
पता नहीं, क्या कहते हैं इन्हें -
- यहाँ की भाषा में ?
उस एक घंटे में लगा, मानो -
भूटान ने अपने सभी रंगों से -
मौसम के हर मिजाज़ से -
स्वागत किया हो -
मेरा ...
और मेरे साथ -
मुझमें कहीं खोए -
तुम्हारा !
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