Monday, 11 January 2021

The palms

Reminiscences from my diary

Jan 11, 2021
Monday, 09:55 pm
Murugeshpalya, Bangalore


एक पल है 
कहीं किसी आयाम में 
अटका हुआ 

एक पल, जब 
तुम्हारी हथेलियों पर 
रोपा था मैंने 
अपना कैवल्य 

मायाजाल - सी रेखाओं में 
तुम्हारी 
मकड़जाल - सा मानस 
मेरा 
बहा था
जैसे धमनियों में रक्त 
बहते - बहते 
हो गया था 
भागीरथी 

अस्तु !
तुम्हारी उँगलियाँ, एकाएक 
हो गयीं थीं 
शिव .. 

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