The palms
Reminiscences from my diary
Jan 11, 2021
Monday, 09:55 pm
Murugeshpalya, Bangalore
एक पल है
कहीं किसी आयाम में
अटका हुआ
एक पल, जब
तुम्हारी हथेलियों पर
रोपा था मैंने
अपना कैवल्य
मायाजाल - सी रेखाओं में
तुम्हारी
मकड़जाल - सा मानस
मेरा
बहा था
जैसे धमनियों में रक्त
बहते - बहते
हो गया था
भागीरथी
अस्तु !
तुम्हारी उँगलियाँ, एकाएक
हो गयीं थीं
शिव ..
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