The wish carriers
Reminiscenes from my diary
March 8, 2021
Monday, 11 pm
Sre
जब - जब भी
मैं -
तुम्हारी
बड़ी हथेलियों की ओक में
पूरा का पूरा
आ सिमटा..
तब - तब
तुम्हारी आँख से
एक पलक
बहती - बहती
मेरी हथेलियों की ओक में
आ गिरी ..
इधर मैं -
तपाक से
आँख बंद कर
कोई अफसून बुदबुदाता
और उधर -
तुम्हारी फूँक
तुम्हारी ही पलक को
बहा ले जाती कहीं ..
खैर ..
किसकी कितनी प्रार्थनाएँ पूरीं हुईं
तुम जानो, या जानें -
ब्रह्मांड में तैरती -
अनगिनत पलकें ..
मैं जानूँ
तो बस ..
तुम्हारी बड़ी हथेलियों की गंध
और
तुम्हारी बड़ी हथेलियों का स्पर्श ..
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