Wednesday, 12 May 2021

Random rains

Reminiscences from diary

May 12, 2021
Wed, 11:15 pm
Murugeshpalya, Bangalore

कच्चे सावन 
की साँझ 
का मेंह 

भरता है 
उजास
उन्माद
और 
ढेर सारी हूक़ 

रात घिरते घिरते 
पानी 
बह जाता है
पीछे रह जाती हैं 

बेतरतीबें 

शरीर का रेशा रेशा 
बन जाता है 
जुगनू !



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