Monday, 28 March 2022

Inanimate! 


Reminiscences from my diary

March 29, 2022
Tue, 0015 hrs
Murugeshpalya, Bangalore


मेरी कविताओं की नींव में 
शून्य था जो -
उसने 
निगल लिया है 
ईश्वर! 

अब सब जड़ है! 
मैं भी! 
मेरी कविताएँ भी! 

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