Disconnected strings
Reminiscences from my diary
May 27, 2023
Saturday 12 noon
Yogisthaan, Indiranagar
एक
चुभन है
कहीं अटकी हुई
रानीखेत के
चीड़
पीछा करते हैं
सपने
सुबह होते ही
किसी ब्लैक होल में खो जाते हैं
चाँद को लिखा
ख़त
ग्रहण की चेक-पोस्ट पर अटका है
एक ज़िद्दी नाम
मेरे आसमान का
ध्रुव है
अमृता की ख़ुमारी में
शिव का
वास है
गंगा के तीर में
गंगा
नहीं होती
आँख
न भोर, न रात, बस
गोधूलि हुई जाती हैं
नुक्कड़ों पर
इंतज़ार
ठहरा हुआ है
प्रेम
मन में ठहरा
हठी किराएदार है
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