Thursday, 1 June 2023

Disconnected strings

Reminiscences from my diary
May 27, 2023
Saturday 12 noon
Yogisthaan, Indiranagar


एक 
चुभन है 
कहीं अटकी हुई

रानीखेत के 
चीड़
पीछा करते हैं

सपने 
सुबह होते ही 
किसी ब्लैक होल में खो जाते हैं

चाँद को लिखा
ख़त 
ग्रहण की चेक-पोस्ट पर अटका है

एक ज़िद्दी नाम 
मेरे आसमान का 
ध्रुव है

अमृता की ख़ुमारी में 
शिव का 
वास है

गंगा के तीर में 
गंगा 
नहीं होती

आँख 
न भोर, न रात, बस 
गोधूलि हुई जाती हैं 

नुक्कड़ों पर 
इंतज़ार 
ठहरा हुआ है

प्रेम 
मन में ठहरा 
हठी किराएदार है


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