Fireflies on my skin!
Reminiscences from my diary
Aug 21, 2023
Monday 2245 IST
Murugeshpalya, Bangalore
किसी-किसी शाम
मेरी देह पर
कहीं-कहीं से आकर
रुक-रुक जाते हैं
कई-कई जुगनू
जुगनू-जुगनू
कोई भूली तारीख़
जुगनू-जुगनू
कोई बिसरा चेहरा
ताकूँ टुकुर-टुकुर
घुल-घुल जाएँ रोशनियाँ
और उनकी सरगम
साँस-साँस में
आस-आस में
टिमटिम-टिमटिम
जब-जब करूँ
कोशिश छूने की
कुछ-कुछ हवा
कुछ-कुछ पानी
जुगनू बन जाए बुलबुला
मेरी देह पर
देह नहीं दिखती
रेशा-रेशा पानी का ज़ख़्म
ज़ख़्म से रिसती
धीमी-धीमी आँच
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