Kashmir Diaries, Day 01
Dec 02, 2023, Saturday
2050 IST
Dal Lake, Srinagar
हाउसबोट की बाल्कनी में बैठा हूँ। एक सुन्दर नीरवता चारों ओर। बीच - बीच में कोई शिकारा पास से गुज़रता है तो लहरें चहचहा उठती हैं। जहाँ बैठा हूँ, वहाँ से साफ़ - साफ़ पहाड़ की चोटी पर शंकराचार्य मंदिर दिख रहा है। शाहिद बता रहा था, वहाँ से पूरा श्रीनगर, और काफ़ी सारा पीर-पंजाल भी दिखता है। कल या परसो जाऊँगा।
अभी भी याद कर रहा हूँ दो घंटे पहले के उस मंज़र को। दिल्ली से जहाज ने कब उड़ान भरी, हमेशा की ही तरह मुझे पता नहीं चला, और जब आँख खुली तो खिड़की के बाहर सफ़ेद चोटियों से घिरा एक तालाब था। मज़े की बात तब हुई जब जगे हुए लोग भी कयास लगाने लगे कि ये बादल हैं या कोई तालाब !
कम्कम्पाती सर्दी ... दूर दूर तक पानी में मचलता सन्नाटा ... दिसंबर का महीना ... !
आँखें मूँदूँ तो पानी ... आँखें खोलूँ तो पानी ... !!
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