सप्तर्षि
Reminiscences from my diary
Nov 17, 2023, Friday
2030 IST
Murugeshpalya, Bangalore
क्या
किसी के दुःखों को
मन से
मन में आश्रय देना
संसार की सबसे सुन्दर
अभिव्यक्ति
कही जा सकती है ?
क्या
स्मरण - शक्ति के
समाप्त होने पर
स्मृतियाँ विलुप्त होने पर
एक लेखक
लेखक
रह जाएगा?
क्या
रात्रि के
किसी गहन पहर
अनायास नयनों का
असीम झरना
रोप सकता है
एक नया धुला प्रभात ?
क्या
किसी का जाते हुए
पीछे छुटी
हथेलियों की ओक
गुलाब से भर देना
विरह की पीड़ा
कम कर सकता है ?
क्या
मौन साधने से
तथागत,
मैत्रेय
और सुजाता -
तीनों
सध जाते हैं ?
क्या
मूक प्रार्थनाओं के
अवशेष
और उनकी ऊष्मा
एक कविता का
सृजन
कर सकते हैं ?
क्या
मृत्तकों के समान
अनुत्तरित प्रश्न भी
गंगा से होते हुए
ब्रह्माण्ड के
तारे बन
टिमटिमाते हैं ?
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