Finally I can cry again
Reminiscences from my diary
May 01,2024
Wednesday 1930 IST
Murugeshpalya, Bangalore
अमृता हाथ में
चेरापूंजी आँख में
हूक साँस में
कि अचानक
आज की साँझ
मेरी दहलीज़ पार कर
मेरी
नज़र उतार गई
अब हो यूँ रहा कि
सावन बीनूँ
या
बुल्ले शाह सुनूँ
माँ का बनाया नमक चखूँ
या
ताकूँ सूखे गुलाब
मेरे
आँसू
उमड़
उमड़
जाएँ
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