Wednesday, 1 May 2024

Finally I can cry again


Reminiscences from my diary

May 01,2024
Wednesday 1930 IST
Murugeshpalya, Bangalore


अमृता हाथ में 
चेरापूंजी आँख में 
हूक साँस में 

कि अचानक 

आज की साँझ 
मेरी दहलीज़ पार कर 
मेरी 
नज़र उतार गई 

अब हो यूँ रहा कि 

सावन बीनूँ 
या 
बुल्ले शाह सुनूँ 

माँ का बनाया नमक चखूँ 
या 
ताकूँ सूखे गुलाब

मेरे 
आँसू
उमड़
उमड़
जाएँ 



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