A moment with the half moon, Reminiscences - 2
Reminiscences from my diary
Sept 22, 2011
3 A.M.
GFC, IISc, Bangalore
दिसंबर की वह सर्द रात …
जिसे मनाली की बयार -
- और भी सर्द बना रही थी -
होटल की तीसरी मंज़िल के ऊपर ,
वह छत -
नीचे, बौद्ध चैत्य -
सामने कहीं से आती कुत्तों की सर्द आवाज़ … !
अनायास ही शरीर में ,
और-
मन में भी -
एक कम्पन सी होने लगी थी !
सामने बर्फ से ढके पहाड़ -
कुछ आधे चाँद की पूरी ज्योत्सना में -
नहा चुके थे -
और कुछ -
नहाने की तैयारी कर रहे थे , शायद !
पीछे भाई खड़ा था -
मुझे देख रहा था , या -
पहाड़ों को , पता नहीं !
आँखें निर्निमेष दूर उन शिखरों पर टिकी थीं -
क्या ढूंढ रहीं थीं , पता नहीं !
और तन , तन तो अभी भी मन के साथ -
कांप रहा था !
वह कम्पन,
वह आधा चाँद ,
फिर से चाहता हूँ -
- जो पहाड़ों से घिरी -
उस छोटी सी छत पर -
कहीं छूट गए हैं !
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