'The' moment, Reminiscences - 1
Reminiscences from my diary
Sept 27, 2011 Tuesday
10:00 P.M.
Library, IISc, Bangalore
रात करीब ढाई बजे -
जब सलिल सो गया था -
जब आस पास की बत्तियाँ भी बुझती जा रहीं थीं -
जब मन में एक अजीब - सी सिरहन -
एक अलग - सी अनुभूति हो रही थी -
कुछ डर , कुछ हर्ष , कुछ आश्चर्य -
गोद में वह छोटा - सा तकिया -
और उस नीले कम्बल में खुद को लपेटकर -
कानों में 'इयर-फ़ोन्स' , जिनसे -
कोई ' वेस्टर्न इंस्ट्रुमेंटल ' मिश्री - सी घोल रहा था -
नीचे एकटक देखता रहा -
देखता रहा -
दिल्ली की उन रोशनियों को -
जो धीरे - धीरे बिन्दुओं में परिणत होतीं जा रहीं थीं -
आज दिल्ली बहुत सुन्दर दिख रही थी -
पहली बार …
और,
पहली बार …
मैं भी जा रहा था -
सात समुन्दर पार -
'उस पहली बार ' के उन पहले पलों को -
फिर से महसूस करना चाहता हूँ -
जीना चाहता हूँ -
उठाना चाहता हूँ सलिल को -
दिखाना चाहता हूँ उसको छोटी - सी दिल्ली -
और,
रखना चाहता हूँ गोद में -
फिर से,
उस पहली उड़ान के पहले तकिये को .... !
Wow!!!the scintillating prose mesmerises me of the beauty which ur thoughts contain...well done!!!
ReplyDeleteI am your fan. Big one. The choice of language (Hindi, wow <3) , the way you structure your writing. Beautiful.
ReplyDeleteI can almost relate to everything you wrote.
Beauty.
Fantabulous poem.....
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