Friday, 1 September 2023

One Fine Day

Reminiscences from my diary
Friday 1900 IST
Murugeshpalya, Bangalore


एक दिन

उग आएँगे चाँद पर 
सतपुड़ा के जंगल  
झींगुर टिमटिमाएँगे 
सावन गाएँगे जुगनू 

एक दिन 

घुल जाएगा सूरज लौ में 
शमी के आस-पास कहीं 
रात में खिलेंगे 
कई-कई धनक

एक दिन 

मछलियाँ खेलेंगीं 
पोषम-पा और 
गौरैया के नीड़ होंगे
समंदर 

एक दिन 

स्वयं बुद्ध खोजेंगे 
सुजाता
मृत्युंजय डमरू छोड़
छेड़ेंगे बाँसुरी 

एक दिन 

किरदार सभी शिवानी के 
किताबों से बाहर आ जाएँगे 
और सभी चिट्ठियाँ
पहुँच जाएँगी सही पतों पर 

एक दिन 

भर जाएगी ओक तुम्हारी 
हरसिंगार से
ठहरेगा तुम्हारी आँख में 
मेरी आँख का पानी 


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