The Evening Harsingars
Reminiscences from my diary
Nov 15, 2023
Wednesday, 2235 IST
Murugeshpalya, Bangalore
एक बार
यूँ ही पारिजात - सा
माना था तुम्हें
जब माना था
जाना नहीं था
महज़ मानना भी हो सकता है
हो जाना
हो ही जाना
अब न फूल
अब न तुम
है तो बस
उतरा हुआ
सिन्दूरी
मेरे नाखूनों पर
ठहरा हुआ
गहरा हुआ
पारिजात - सा होना
रोग है
पारिजात होना
जोग !
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