Rains, incessant the
Reminiscences from my diary
Nov 06, 2023
Monday, 2230 IST
Murugeshpalya, Bangalore
शिउली की
गंध में मगन मूसलाधार
पानी कुछ यूँ
बरस रहा है कि
डबडबाई नींद का हर
टुकड़ा
तालाब हुआ जाए
तालाब की
काई में कई कई
रतजगे
हर रात का एक
चाँद
हर चाँद की एक
आह और हर
आह से फट जाए
बादल का एक
टुकड़ा
बरसात
मूसलाधार बरसात
No comments:
Post a Comment