Cherrapunji -2
Reminiscences from my diary
June 27, 2024
Thursday, 1800 IST
Cherrapunji, Meghalaya
बहुत समय तक
बादल चिपके रहे
काया से
रूह से
काया से रूह तक जाती
हर चौखट से
समय का माप
नहीं याद
शायद पैंतालीस मिनट
या कुछ देर
या एक कल्प
या हमेशा से
हमेशा तक
एक बादल
या दो
या एक बादल के दो टुकड़े
या कई बादल
और कई बादल के कई टुकड़े
परत-दर-परत
सुध आती रही
जाती रही
जैसे कौंधती बिजली
न रोशनी
न अँधेरा
जब छँटे
रेशा - रेशा भर गए
ओस
अब आलम यूँ कि
पलकों पर बारिशें
कानों में झरने
गालों पर छींटें
होठों पर सीलन
मैं अब
पानी से लबालब
एक गहरा काला बादल हूँ
बरस रहा हूँ
भटक रहा हूँ
बीहड़ सुनसान
गहरे गीले जंगलों में
साँस खोजती पगडंडियों पर
यहाँ दूर दूर तक
बस पानी है
यहाँ दूर दूर तक
बस मैं हूँ
No comments:
Post a Comment