Sunday, 30 June 2024

Cherrapunji -2

Reminiscences from my diary

June 27, 2024
Thursday, 1800 IST
Cherrapunji, Meghalaya


बहुत समय तक 
बादल चिपके रहे 

काया से 
रूह से 
काया से रूह तक जाती
हर चौखट से 

समय का माप 
नहीं याद 

शायद पैंतालीस मिनट 
या कुछ देर 
या एक कल्प 
या हमेशा से 
हमेशा तक 

एक बादल 
या दो 
या एक बादल के दो टुकड़े 
या कई बादल 
और कई बादल के कई टुकड़े 

परत-दर-परत 

सुध आती रही 
जाती रही 
जैसे कौंधती बिजली 

न रोशनी 
न अँधेरा 

जब छँटे 
रेशा - रेशा भर गए 
ओस 

अब आलम यूँ कि 

पलकों पर बारिशें 
कानों में झरने 
गालों पर छींटें 
होठों पर सीलन 

मैं अब 
पानी से लबालब 
एक गहरा काला बादल हूँ 

बरस रहा हूँ 
भटक रहा हूँ 
बीहड़ सुनसान
गहरे गीले जंगलों में 
साँस खोजती पगडंडियों पर 

यहाँ दूर दूर तक 
बस पानी है 

यहाँ दूर दूर तक 
बस मैं हूँ 



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