Sounds at 2 AM
Reminiscences from my diary
Nov 30, 2020
Reminiscences from my diary
Monday, 2.15 am
Murugeshpalya, Bangalore
इस एक पल -
अचानक ही घड़ी पर नज़र पड़ गयी!
रात के दो बज गए हैं!
ओह!
दो!
यह तो बहुत कम समय रह गया भोर होने में!
पर नींद?
उफ्फ़!
ज़रूर आते - आते नींद की कहीं आँख लग गयी है!
इस एक पल -
सन्नाटा पसरा हुआ है!
नीरव!
नीरस!
निर्जन!
हालांकि -
मुझे महज़ दो आवाज़ें -
साफ - साफ सुनाई दे रही हैं!
एक आवाज़ तो अपनी साँस की ही है!
मुद्दत बाद गौर कर रहा हूँ कि -
कैसे मेरी साँस -
अंदर - बाहर
आते - जाते
शोर मचा रही है!
"मैं भी हूँ, मैं भी हूँ.."
"जानता हूँ रे! तभी तो मैं हूँ!"
दूसरी आवाज़ -
झींगुरों की है!
दो हैं?
दस हैं?
या फिर तारे जितने?
पता नहीं!
और -
यह भी नहीं पता कि -
असल में -
है कहाँ यह टोली!
कमरे में तो नहीं है!
ज़रूर बाल्कनी में -
मनी-प्लांट
या ऐलोवीरा
या फिर निम्बोली के आस - पास कहीं -
झनक रहे हैं!
खैर ..
इस एक पल -
यही दो आवाज़ें हैं !
हाँ!
बस दो!
बाकी तो बस वही -
सन्नाटा!
मौन - मूक सन्नाटा!
अरे!
तुम भी हैरान हो गए क्या?
कहो तो!
वैसे -
मैं भी हूँ -
हैरान!
मैं खुद -
काफी देर से टटोल रहा हूँ
इधर - उधर ताके जा रहा हूँ
पर -
मेरे रतजगे में -
आज
तुम्हारी आवाज़ -
दूर - दूर तक नहीं है..!
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