Tuesday, 14 January 2020

The right alternative!

Reminiscences from my diary

Jan 14, 2020
Tuesday, 10:20 pm
Murugeshpalya, Bangalore


तुम्हें जीना 
तुम में जीना 
तुम्हारे संग जीना 
या बस, जीना ... 
मैं आज भी बूझ रहा हूँ -
- अपनी साँस का ठिकाना !

ख़ैर -
मेरी छोड़ो !
तुम बताओ !
तुम 'गर होते-
- तो कौन -सा विकल्प चुनते ?

No comments:

Post a Comment