Saturday 25 August 2018


Annihilation


Reminiscences from my diary

Aug 19, 2018
Sunday, 02:00 AM
In Flight to Kuala Lumpur


एक समय आता है, जब -
रेशों में वजह - बेवजह पलता
दर्द
पशमीने - सा हो जाता है !
रेशे - रेशे को -
- कैवल्य मिल जाता है, तब !

***

एक समय आता है, जब -
पीड़ा की वाणी -
- सिंधु - सी हो जाती है !
शांत होते हुए भी -
एक बड़वानल पलता है, तब !
एक झंझानल पलता है, तब !

***

एक समय आता है, जब -
वेदनाओं का समूह
रचता है प्रपंच, इंद्र सा !
किसी राम की प्रतीक्षा में
हृदय
अहिल्या हो जाता है, तब !

***

एक समय आता है, जब -
नाड़ी - संहिता में यहाँ - वहाँ बिखरी -
टीस
लहू क साथ छोड़
आँखों में पलते नीर से जा मिलती है !
अनवरत बरसात होती है, तब !





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