Friday 17 March 2023

Your nails, ten!

Reminiscences from my diary
March 17, 2023
Friday 2245 hrs
Murugeshpalya, Bangalore


एक नाख़ून
गौरैया का उजड़ा - उखड़ा नीड़ 
एक नाख़ून 
गंगा की चुप - चुप बंजर पीड़ 
एक नाख़ून 
ऊबड़ - खाबड़ कैलाश 
एक नाख़ून 
कुछ - कुछ फूल पलाश 
एक नाख़ून 
चाँदनी नहाये चीड़ों का सिल्हूट 
एक नाख़ून 
अंग्रेज़ी मेम का चमकीला सूट - बूट 
एक नाख़ून 
अपनी ही उँगली का सिल्वर छल्ला 
एक नाख़ून 
शम्स - ए - तबरेज़ी झल्ला 
एक नाख़ून 
कोन्या की गलियों की भटकन 

आख़िरी नाख़ून 
साँस - साँस साँस - साँस अटकन 


Sunday 5 March 2023


The Moon & You Rantings

Reminiscences from my diary

March 05, 2023
Sunday 1130 pm
Murugeshpalya, Bangalore


तुम -
चाँद को देखते हो 
चाँद -
मुझे देखता है 

मैं -
तुम्हें -
क्यों नहीं देख पाता ?


***


रास्ते भर 
बारीक लकीर चाँद की
मुझे 
एकटक तकती रही 

सुनो -
तुम चाँद तो नहीं !
तुम चाँद क्यों नहीं ?


***


तुमने 
दिन का -
चाँद 
देखा है कभी?

कभी - कभी रात का -
चाँद
कम खूबसूरत होता है !


***


सुनो, तुम-
मुट्ठी क्यों नहीं 
खोल देते ?

मेरे आसमान का चाँद 
तुम्हारी रात की -
बेतरतीबी में 
उलझा पड़ा है !


***


मेरी ओक में 
चाँद उड़ेलकर 
तुम 
बहुत दूर निकल गए 

मैं 
उस चाँद का 
ग्रहण हूँ !


***