Thursday 3 December 2020

Sounds at 2 AM


Reminiscences from my diary


Nov 30, 2020


Reminiscences from my diary

Monday, 2.15 am

Murugeshpalya, Bangalore


इस एक पल -

अचानक ही घड़ी पर नज़र पड़ गयी! 

रात के दो बज गए हैं! 


ओह! 

दो! 

यह तो बहुत कम समय रह गया भोर होने में! 


पर नींद? 

उफ्फ़! 

ज़रूर आते - आते नींद की कहीं आँख लग गयी है! 


इस एक पल -

सन्नाटा पसरा हुआ है! 

नीरव! 

नीरस! 

निर्जन! 

हालांकि -

मुझे महज़ दो आवाज़ें -

साफ - साफ सुनाई दे रही हैं! 


एक आवाज़ तो अपनी साँस की ही है! 

मुद्दत बाद गौर कर रहा हूँ कि -

कैसे मेरी साँस -

अंदर - बाहर 

आते - जाते 

शोर मचा रही है! 


"मैं भी हूँ, मैं भी हूँ.."

"जानता हूँ रे! तभी तो मैं हूँ!"


दूसरी आवाज़ -

झींगुरों की है! 


दो हैं? 

दस हैं? 

या फिर तारे जितने? 

पता नहीं! 

और -

यह भी नहीं पता कि -

असल में -

है कहाँ यह टोली! 

कमरे में तो नहीं है! 

ज़रूर बाल्कनी में -

मनी-प्लांट 

या ऐलोवीरा

या फिर निम्बोली के आस - पास कहीं - 

झनक रहे हैं! 


खैर .. 

इस एक पल -

यही दो आवाज़ें हैं ! 

हाँ! 

बस दो! 

बाकी तो बस वही -

सन्नाटा! 

मौन - मूक सन्नाटा! 


अरे!

तुम भी हैरान हो गए क्या? 

कहो तो! 

वैसे -

मैं भी हूँ -

हैरान! 

मैं खुद -

काफी देर से टटोल रहा हूँ

इधर - उधर ताके जा रहा हूँ

पर -

मेरे रतजगे में -

आज 

तुम्हारी आवाज़ -

दूर - दूर तक नहीं है..!

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