Sunday 1 May 2022

Nobody stays here

Reminiscences from my diary

May 01, 2022
Murugeshpalya, Bangalore
0800 PM


तुमने कहा कि तुम यहीं हो
पर मुझे लगता है कि 
तुम्हें
महज़ ऐसा लगता है कि 
तुम यहीं हो 
पर 
दरअसल 
तुम यहाँ नहीं हो 

यहाँ कोई नहीं है 
कोई 
भी 
नहीं 
मैं भी हूँ या नहीं 
पता नहीं 

बस 
कुछ बेतरतीबियाँ हैं 
कुछ बेचैनियाँ हैं 
कुछ आवारगियाँ हैं 
कुछ खुशबुएँ हैं 

जो 
धरती - धरती 
गगन - गगन 
काया - काया 
भटक रहीं हैं 
न जल पाती हैं
न गल पाती हैं 
न बह पाती हैं
न सह पाती हैं 

बस हैं 
रहेंगी 

न जाने किस रास्ते 
यहाँ 
आ पहुंची हैं 
और अब 
बस 
यहीं
हैं 

सुनो 

कभी अगर 
तुम्हें 
तुम्हारी बेचैनियाँ 
बहुत परेशान करें 
और 
तुम्हें 
निजात पानी हो उनसे 
तो उन्हें 
यहाँ का पता 
दे देना 

इस चौखट पर 
तुम्हारी भटकन को भी 
हमेशा के लिए 
पनाह मिल जाएगी 


No comments:

Post a Comment