Monday 24 December 2018

The redemption of the pain


Reminiscences from my diary
Dec 24, 2018
05:15 pm
GS, CD, Bangalore


कभी - कभी, गाहे - बगाहे -
यूँ ही -
एक ऐसा पल आता है जब -
मन में जमा मवाद -
रिसने लगता है  ...
जलने लगता है हर रोम, जैसे -
किसी ने नमक लगा नुकीला रुद्राक्ष -
रगड़ दिया हो मेरी हर परत पर, या -
छोड़ दिया हो, मेरे लहू में -
लपटों में लिपटा काफ़ूर !

... और, तब -
तब, उस एक पल -
तड़पता -
बिलखता -
मरता -
हर एक कतरा, मेरा -
डूब जाता है अपनी पीर में !

मेरा हर एक कतरा हो जाता है भगीरथ !

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