Thursday 23 January 2020

अमृता की कविताएँ  (7 / 8)

अनाम

मैं एक बैरंग चिट्ठी हूँ
ज़रा ख़्यालों का वजन ज़्यादा था
और खुदा ने टिकट कुछ कम लगाई थी
सो इस दुनिया में मुझे किसी ने डाकखाने से छुड़ाया नहीं  ...

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