Sunday 28 March 2021

The full moon and your nails!

Reminiscences from my diary

March 28, 2021
Sunday, 09:30 pm
Murugeshpalya, Bangalore


पूरे चाँद को
टुकुर - टुकुर देखते हुए 
मुझे एकाएक 
तुम्हारे नाखूनों की बनावट 
याद आ गई
 
हर बारीकी 
हर रंग 
हर कोशिका 
हर लकीर 

अजीब है न?
हाँ! है तो!

ऐसी किसी 
बेतुकी याद पर भी 
भला कभी कोई कविता 
लिखी जा सकती है, या -
लिखी जानी चाहिए ?

न! नहीं! 

सोच रहा हूँ कि 
ज्यादा बेतुका क्या है !
तुम्हारे नाखूनों का 
आँख में भर जाना 
या 
चाँद को देखते देखते 
तुम्हारे नाखूनों का
आँख में भर जाना 

खैर ... 

लोग समझेंगे कि 
बौरा गया हूँ 
और सही ही समझेंगे !

इसलिए -
यह जो मैं लिख रहा हूँ 
यह कोई कविता नहीं है !
मैं तो -
महज़ 
इस पल को दर्ज कर रहा हूँ 
अपनी डायरी में 
कि 
अमुक तारीख़ को, अमुक समय -
एक अजीबोगरीब -
बावरी 
हास्यास्पद घटना घटी थी !






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