Wednesday, 29 January 2025

Can you be a killer? Yes, you can!

Reminiscences from my diary

Thursday, Jan 30, 2025
Murugeshpalya, Bangalore

सुनो
अगर तुम किसी को मारना चाहते हो 
तो यूँ करो
कि उसे मरा हुआ मान लो 

काफ़ी सादी पर मज़ेदार तरकीब है 
उस पर भी -

अमुक व्यक्ति 'गर तुम्हारे उन्स में हो 
बेपनाह बेहिसाब 
तो ख़ूब  मौके मिलेंगे तुम्हें 
बिना हाथ रंगे

क़त्ल करने के 
एक बार नहीं, कई-कई बार 

सामने वाला 
सब कुछ जानते-सुहाते भी 
मरता रहेगा रोज़, तसल्ली से 
एक बार, कई बार, हर बार 

समेटअपना सारा इश्क़ 
अपनी बुशर्ट की जेब में 

और 'गर वह रोये या हँसे 
तो ग़ौर न मनाना 
चुपचाप झूठमूठ 
बहरे हो जाना 

लेकिन यूँ बताओ ज़रा 
क्या करोगे ऐसे में कि 

जब-जब तुम मारो उसे 
तब-तब लग जाए हिचकी, तुम्हें,
न एक, न दो,  मगर 
बेपनाह बेहिसाब 

मियाँ 'गर यूँ हुआ तो फिर यूँ होगा कि 
अपने जुर्म के 

तुम आप ही गवाह हो जाओगे 



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