Thursday, 27 November 2025

Existence

Reminiscences from my diary

Nov 27, 2025
Thursday 2030 IST 
Murugeshpalya, Bangalore


मासूम था मैं
तुम्हारे न होने में 
तुम्हारे होने को ढूँढता रहा 

बात महज़ इतनी-सी थी कि  
तुम्हारा होना 
नहीं था तुम्हारा होना

समझता रहा
मेरा होना है 
तुम्हारा होना 

और यह भी कि 
तुम्हारा न होना है 
मेरा न होना 

अब जब बरस बीते तो बूझ पाया
नियति है तुम्हारा न होना
मेरा होना 

और इस तरह हुआ 
मेरा होना
मेरा ही न होना 

Sunday, 23 November 2025

I tried everything..

Reminiscences from my diary

NOv 23, 2025
Sunday 2230 IST
Murugeshpalya, Bangalore

तस्वीरें चूमीं
लगाई रखीं छाती से 
कई देवताओं के आगे
लगाया ध्यान 
पहाड़ों से माँगा सब्र
खोजा सुकून समन्दरों में 
मीलों चला जंगलों में, शहरों में,
सुनसान अंधेरों में 
सूरज निचोड़ा, चाँद फूँका, 
पूर्वजों से माँगी मन्नतें 
बादल चखे, बारिशें पी, 
रेशा - रेशा किया धुआँ 
पोस्टकार्ड भेजे, चिट्ठियाँ लिखीं, 
नाखूनों में छिपाया नाम 
किताबों में ढूँढी साँस, 
मौन में बाँधा शोर 
पहले खुला, फिर उधड़ा, 
फिर हुआ ज़ार-जार, लहूलुहान

ख़लील होना तो बहुत बड़ी बात थी, 
तुम्हें तो एक कतरा तरस भी न आया 



Thursday, 20 November 2025

I turned into a story

Reminiscences from my diary

Nov 20, 2025
Thursday 2245 IST
Murugeshpalya, Bangalore


... कि और कुछ नहीं तो 
कमसकम एक कहानी
एक किस्सा तो बनेगा 
सुनने - सुनाने को 

जिसकी शुरुआत कुछ यूँ होगी कि 

एक बार की बात है 
नाम तो ठीक - ठीक नहीं याद
न ही चेहरा पूरा
बस इतना कि 
फलाँ इंसान को 
फलाँ मौसम फलाँ तारीख़ 
बैठे-बैठे, गाहे - बगाहे 
हुई थी टूटकर मोहब्बत ...