Existence
Reminiscences from my diary
Nov 27, 2025
Thursday 2030 IST
Murugeshpalya, Bangalore
तुम्हारे न होने में
तुम्हारे होने को ढूँढता रहा
बात महज़ इतनी-सी थी कि
तुम्हारा होना
नहीं था तुम्हारा होना
समझता रहा
मेरा होना है
तुम्हारा होना
और यह भी कि
तुम्हारा न होना है
मेरा न होना
अब जब बरस बीते तो बूझ पाया
नियति है तुम्हारा न होना
मेरा होना
और इस तरह हुआ
मेरा होना
मेरा ही न होना
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