Thursday, 27 November 2025

Existence

Reminiscences from my diary

Nov 27, 2025
Thursday 2030 IST 
Murugeshpalya, Bangalore


मासूम था मैं
तुम्हारे न होने में 
तुम्हारे होने को ढूँढता रहा 

बात महज़ इतनी-सी थी कि  
तुम्हारा होना 
नहीं था तुम्हारा होना

समझता रहा
मेरा होना है 
तुम्हारा होना 

और यह भी कि 
तुम्हारा न होना है 
मेरा न होना 

अब जब बरस बीते तो बूझ पाया
नियति है तुम्हारा न होना
मेरा होना 

और इस तरह हुआ 
मेरा होना
मेरा ही न होना 

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