Sunday, 23 November 2025

I tried everything..

Reminiscences from my diary

NOv 23, 2025
Sunday 2230 IST
Murugeshpalya, Bangalore

तस्वीरें चूमीं
लगाई रखीं छाती से 
कई देवताओं के आगे
लगाया ध्यान 
पहाड़ों से माँगा सब्र
खोजा सुकून समन्दरों में 
मीलों चला जंगलों में, शहरों में,
सुनसान अंधेरों में 
सूरज निचोड़ा, चाँद फूँका, 
पूर्वजों से माँगी मन्नतें 
बादल चखे, बारिशें पी, 
रेशा - रेशा किया धुआँ 
पोस्टकार्ड भेजे, चिट्ठियाँ लिखीं, 
नाखूनों में छिपाया नाम 
किताबों में ढूँढी साँस, 
मौन में बाँधा शोर 
पहले खुला, फिर उधड़ा, 
फिर हुआ ज़ार-जार, लहूलुहान

ख़लील होना तो बहुत बड़ी बात थी, 
तुम्हें तो एक कतरा तरस भी न आया 



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