Forgiveness
Reminiscences from my diary
Dec 21, 2025
Sunday 2100 IST
Murugeshpalya, Bangalore
ढेर सारी
घृणा
और आक्रोश
और द्वन्द
और द्वेष
और अचम्भा भी
और सीमाएँ
और असत्य
और अप्रेम
ढेरों ढेर
बहुत सारी
इच्छाएँ
और निराशाएँ
और घाव
और नील
और
घुटन घुटनों तक
कसक नाखूनों भर
रोम - रम रूदन
फिर निस्पंदन
रह गयी अंत में
अंजुलि भर
क्षमा
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