Stains on a letter - 1 (Letters to you - 20)
Reminiscences from my diary
May 04, 2025
Sunday, 1830 IST
Stumpfields, Ooty
तुमने पूछा था
तुम्हें भेजी गईं चिट्ठियाँ
चिट्ठियाँ ही हैं या
हैं कविताएँ
सुनो!
वे न चिट्ठियाँ हैं न कविताएँ
मेरी डायरी से फाड़े गए पन्ने हैं
खुद से खुद की बातें हैं
शिकायतें है, पीड़ है,
मन का नीर है
कड़ियाँ हैं अतीत की
तुम्हारे बीतने की
तुमने यह भी पूछा था
इन चिट्ठियों पर
ये हलके पीले, भूरे
निशान कैसे हैं
तुमने पहचाना कैसे नहीं
तुम्हारे ही नाम के
हरसिंगार हैं
सूखे, मरे हुए
कि एक दिन जब
ये फ़ॉसिल मिलेंगे
वैज्ञानिकों को
तुम फिर से जी उठोगे
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