I met you (Letters to you - 15)
Reminiscences from my diary
Apr 22, 2025
Tuesday, 2215 IST
Murugeshpalya, Bangalore
कितने मज़े की बात होती
'गर मैं और तुम में
होती गुंजाईश
फेर-बदल की
कि 'गर कहूँ मैं तुमसे मिला
तो असल में
मैं होता तुम, और मतलब निकलता
तुम मुझसे मिले
कि अपना आपा सँभालने को
इतनी सी बात भी
होती काफ़ी और
मुकम्मल
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