Unfinished manuscript (Letters to you - 4)
Reminiscences from my diary
Apr 5, 2025
Saturday, 1930 IST
KIA, Bangalore
स्मृतियों के दस्तावेज़
जब स्याही - स्याही
बुनते हैं
तो
आत्मकथा कहलाते हैं!
सुनो!
हम यूँ करेंगे कि
तुम मेरी आत्मकथा लिखना
और
मैं लिखूँगा तुम्हें
फिर
किसी साहित्यिक गोष्ठी में
कभी कहीं
हम
अपनी - अपनी
अपूर्णताओं का उत्सव मनाएँगे!
No comments:
Post a Comment