Old Book (Letters to you - 7)
Reminiscences from my diary
April 09, 2025
Wednesday, 2115 IST
Sre
पुरानी किताब नहीं होती
सिर्फ़ एक पुरानी किताब
कि उसके अंदर जी रहा होता है
एक पूरा लम्हा या एक पूरा काल
कि हो सकता है उसमें किसी अतीत का
पूरा का पूरा वर्तमान, लेता साँसें चुपचाप
कि जब पलटें उसके पन्ने तो चिपक जाए
एक गंध आपके नाखूनों पर, होठों पर, आँखों पर
कि बौरा जाएँ आप, कोशिश करें याद करने की
न मृग ढूँढ पाए कस्तूरी, न आप, बस करते रहें कोशिश
कि इधर-उधर लगाए गए निशान, लिखे गए नोट्स
बन जाएँ माज़ी में जाने का गूगल मैप
कि कहीं ठहरा हो आँसू , कहीं हँसी, कहीं आधी मुस्कराहट
और कहीं सुस्ताये हों पूरे के पूरे दिन, और देर ढलती शाम
कि बनाया हो तकिया भी किसी रात, या फिर सपना
या चिपकाये रखा हो छाती से कभी किसी सफ़र, हमसफ़र
कि उसमें छिपे हों घर वालों से छिपाये प्रेम-पत्र, या कोई पोस्ट-कार्ड
या बनाया हो कभी मरते फूलों का एक सुन्दर कब्रिस्तान
कि हों शिकायतें दर्ज किसी किरदार से, या घृणा, या कुनमुनाहट
या हो सिर्फ़ प्रेम, और इतना कि आप खुद हो जाएँ एक किरदार
पुरानी किताब, सच, नहीं होती
सिर्फ़ एक पुरानी किताब ही
सुनो,
तुम मेरी सारी पुरानी किताबें लेकर
अपनी एक पुरानी किताब दोगे ?
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